औली एक अद्धभुत रमणीय एवम् धार्मिक स्थल

शिवपुत्र, देव सेनापति भगवान् कार्तिकेय द्धारा स्थापित राजधानी ऋतूभरा अथवा आद्या गुरु शंकराचार्य जी द्धारा स्थापित चार प्रमुख धर पीठो में से एक ज्योतिर्मठ पीठ के निकट स्थित औली एक बेहद ही रमणीक स्थान है जहाँ पहुचकर किसी मानव को दिव्य तथा अद्धभुत अनुभूति होती है|


औली को स्थानीय भाषा में औली बुग्याल भी कहते है जिसका अर्थ होता है घांस का विशाल मैदान... समुन्द्र तल से 3.000 मीटर की उचाई में बसे औली में दिसम्बर के महीने से बर्फ पड़नी आरंभ होती है जो कभी कभी अप्रेल तक भी मौसम के अनुसार पड़ती है| हर वर्ष फरवरी महीने में यहाँ स्नो स्किंग के विशेष कोर्स करवाए जाते है| यह कोर्स उत्तराखंड सरकार द्धारा गढ़वाल मंडल विकास निगम द्धारा संचालित होते है जिनमे बड़ी संख्या में लोग भाग लेते है|


औली में एशिया के दुसरे नंबर की सबसे बड़ी Ropeway है इसका संचालन भी उत्तराखंड पर्यटन करता  है| औली से हिमालय की विशाल पर्वत श्रंखलायें दृष्टिगोचर होती है है जो एक अविस्मरणीय क्षण आने इ पर्यटकों को प्रदान करती है|

औली समुन्द्रतल से लगभग 2,500 मीटर (8,200 फीट) से 3,050 मीटर (10,010 ft) की ऊँचाई में स्थित है| देवदार के वृक्षों से औली का दर्शय अद्धभुत दिखता है| 


औली में गढ़वाल मंडल विकास निगम द्धारा स्की का परीक्षण दिया जाता है| जनवरी से मार्च तक 7 दिनों की बिना प्रमाणपत्र तथा 14 दिवसीय प्रमाणपत्र कौर्स होता है| निगम के आलावा कुछ निजी संस्थानों द्धारा भी ट्रेनिग कौर्स करवाए जाते है| यह पर्यटक के ऊपर है की वो कौन स विकल्प चुनता है| ट्रेनिग कौर्स की फीस तथा उपकरणों के रेट के लिए निगम के स्थानीय या मंडलीय कार्यलय में पता किया जा सकता है जोकि भारत के हर प्रान्त की राजधानी अथवा बड़े शहर में स्थित है है| अधिक जानकारी के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम की वेबसाइट से पता किया जा सकता है| 

जानकारी के अनुसार फ़ीस निम्न है जिसमे कुछ परिवर्तन भी संभव हो सकते है.....

वयस्क से 475 रुपये  
बच्चो से 250 रुपये 
स्की सिखाने के लिए 125-175 रूपये 
चश्मे के लिए 100 रूपये 
दस्तानो के लिए 175 रूपये 

7 दिवसीय कौर्स के लिए भारतीय नागरिक से फ़ीस 4,710 रूपये तथा विदेशी नागरिक से 5,890 रूपये 
14 दिवसीय कौर्स के लिए भारतीय नागरिक से फ़ीस 9,440 तथा विधेशी नागरिक से 11,800 रूपये तक का शुल्क लिया जाता है| 


औली दिल्ली बदीनाथ मार्ग में जोशीमठ से 15 कमी सड़क मार्ग से जुड़ा है तथा 3.5 कमी Ropeway मार्ग भी जुड़ा है यह पर्यटकों के ऊपर है की वो कौन से मार्ग का चयन करते है| जोशीमठ तथा औली दोनों ही स्थानों में पर्यटकों के ठहरने के लिए होटल है जोशीमठ में कई होटलों के साथ साथ धर्मशाला तथा आश्रम भी है|

जोशीमठ भगवान् बद्रीनाथ के शीतकालीन दर्शन मंदिर तथा अदि गुरु शंकराचार्य द्धारा स्थापित चार धर्म पीठो में से एक है उत्तरभारत की प्रमुख धार्मिक पीठ ज्योतिर्मठ होने के कारण यह स्थान हिन्दुओं के लिए विशेष स्थान हो जाता है|

हरिद्धार से लगभग 300 किमी लगभग 9 घंटे की यात्रा के के बाद आप जोशीमठ पहुँच सकते है|
हरिद्धार-ऋषिकेश-देवप्रयाग-रुद्रप्रयाग-कर्णप्रयाग-गौचर-पीपलकोठी-जोशीमठ यह प्रमुख नगर मार्ग में आते है है|

औली यूँ तो वर्षभर पर्यटकों के लिए खुला रहत है लेकिन बर्फबारी के बाद यहाँ आने का सबसे बड़ा समय है| दिसम्बर से लेकर मार्च तक यहाँ बर्ष पड़ती रहती है तो यहाँ आने से पूर्व बर्फबारी की जानकारी अवश्य प्राप्त करें|

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