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Showing posts from December, 2017

देवप्रयाग- जहाँ पूर्ण होती है गंगा जी

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देवप्रयाग एक छोटा सा स्थान है जो बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में स्थित है| हाजारो वर्षो से श्रद्धा का केन्द्र रहा देवप्रयाग अलकनंदा वा भागीरथी गंगा के संगम में स्थित है| गढ़वाल के पञ्च पवित्र प्रयागों में देवप्रयाग प्रथम प्रयाग है| ऋषिकेश से मात्र 70 किमी की दुरी में है| पौराणिक इतिहास के अनुसार महाराज सागर के वंशज महात्मा भागीरथ ने गंगा जी को स्वर्ग से धरती में लाने के लिए भीषण तप किया जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा को अपने कमंडल से छोड़ा गंगा जी के अति वेग को संभालने हेतु अदि देव महादेव शिव ने अपनी जटाओं में गंगा जी को बंधा जिस कारण गंगा जी कई धाराओं में बंट गयी| यह सभी धाराएँ भागीरथी और अलकनंदा में विलीन होते हुए देवप्रयाग में आकर मिलती है यहीं से यह गंगा कहलाती है|  मान्यता अनुसार महात्मा भागीरथ जब गंगोत्री से गंगा की धारा के आगे चलते हुए देवप्रयाग पहुचे तो सभी 33 करोड़ देवी-देवता गंगा जी के स्वागत हेतु यहाँ उपस्थित हुए|  जनश्रुति के अनुसार देव शर्मा नामक ब्राहमण के द्धारा कठिन तप करने के कारण इस स्थान का नाम देवप्रयाग पड़ा| केदारखंड के अनुसार "विश्वेश्वरे

प्रकृति की गोद में बसा अद्धभुत धनोल्टी

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मंसूरी के निकट ही प्राकृतिक वातावरण के अद्धितीय मनोहारी स्थानों में से एक धनोल्टी पर्यटकों के ह्रदय में अपना स्थान बनता जा रहा है| तुलना करने वाले इसे सौ वर्ष पुरानी मंसूरी कैसी रही होगी कहते हुए इसकी तुलना मंसूरी से करते है| सेब तथा आलू के बगान के लिए प्रसिद्ध यह स्थान देवदार के बड़े वृक्षों से झांकते हिमालय के दर्शन करता है| अप्रेल से जून के महीने में यहाँ का वातावरण मंसूरी से अधिक ठंडा रहता है वर्षाकाल में वर्षा तथा बदलो के के पहाड़ो में होने के कारण यहाँ का वातावरण एक दैवीय लोक की अनुकृति स लगता है तो शरदकाल में यहाँ मंसूरी से अधिक वर्ष पड़ती है जो अधिक मानवीय गतिवधि ना होने के कारन लम्बे समय तक रहती है| धनोल्टी से पांच किमी के दुरी पर सिद्धपीठ माँ सुरकंठा का मंदिर है कद्दुखाल से यहाँ माँ के दरवार तक जाने के लिए 3 किमी पैदल मार्ग वा कठिन चडाई करनी होती है| समुन्द्रतल से 3.034 मीटर ऊँचे पहाड़ पर माँ का यह पवित्र धाम है जहाँ से हिमालय की विशाल श्रंखला दिखाती है| धनोल्टी समुन्द्रतल से 2,500 मीटर की उचाई में स्थित है| सबसे निकट का हवाईअड्डा 83 किमी की दुरी में जोलीग्रांट

औली एक अद्धभुत रमणीय एवम् धार्मिक स्थल

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शिवपुत्र, देव सेनापति भगवान् कार्तिकेय द्धारा स्थापित राजधानी ऋतूभरा अथवा आद्या गुरु शंकराचार्य जी द्धारा स्थापित चार प्रमुख धर पीठो में से एक ज्योतिर्मठ पीठ के निकट स्थित औली एक बेहद ही रमणीक स्थान है जहाँ पहुचकर किसी मानव को दिव्य तथा अद्धभुत अनुभूति होती है| औली को स्थानीय भाषा में औली बुग्याल भी कहते है जिसका अर्थ होता है घांस का विशाल मैदान... समुन्द्र तल से 3.000 मीटर की उचाई में बसे औली में दिसम्बर के महीने से बर्फ पड़नी आरंभ होती है जो कभी कभी अप्रेल तक भी मौसम के अनुसार पड़ती है| हर वर्ष फरवरी महीने में यहाँ स्नो स्किंग के विशेष कोर्स करवाए जाते है| यह कोर्स उत्तराखंड सरकार द्धारा गढ़वाल मंडल विकास निगम द्धारा संचालित होते है जिनमे बड़ी संख्या में लोग भाग लेते है| औली में एशिया के दुसरे नंबर की सबसे बड़ी Ropeway है इसका संचालन भी उत्तराखंड पर्यटन करता  है| औली से हिमालय की विशाल पर्वत श्रंखलायें दृष्टिगोचर होती है है जो एक अविस्मरणीय क्षण आने इ पर्यटकों को प्रदान करती है| औली समुन्द्रतल से लगभग 2,500 मीटर (8,200 फीट) से 3,050 मीटर (10,010 ft) की ऊँचाई में स्थित है| देवदा

उत्तराखंड के प्रसिद्ध Rope Way

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एक शहर को देखने के कई विकल्प होते है आप कार, बाइक, या फिर महंगे हवाई सफ़र से एक शहर को देख सकते है या फिर आप एक सस्ते और आरामदायक उड़न खटोले Rope Way की सहायता से भी देख सकते है| Rope Way अधिकतर किसी धार्मिक या प्राकृतिक या बर्फ से ढके पर्वर्तीय स्थल में बने हुए है जहाँ से आप प्राकृतिक द्रश्य का आनंद ले सकते है|      उत्तराखंड धार्मिक यात्रा के लिए तो विश्व विख्यात है लेकिन यहाँ पर कई रोमांचक पर्यटन स्थल भी है जैसे की गंगा में होने वाले नोकायन White Water River Rafting , Bungee Jumping, Flying Fox, Trekking Tour, Snow Skiing, Mountaineering, आदि      उत्तराखंड में कई स्थान पर पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार वा निजी उपकर्म के Rope Way है जिनमे हरिद्धार का माँ चंडी देवी तथा मनसा देवी, नैनीताल, मंसूरी, तथा जोशीमठ से औली का Rope Way अपनी एक विशेष पहचान रखते हुए विश्व प्रसिद्ध है| उत्तराखंड में हेमकुंड-घांघरिया, केदारनाथ, कुंजापुरी-ऋषिकेश जैसे स्थलों में भी Rope Way निर्माण की योजनाओं के बारे में सरकार विचार कर रही है|     हरिद्धार में माँ मनसा देवी, माँ चंडी देवी में Rope Way की स