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माँ चंडी देवी मंदिर हरिद्धार

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                                                              माँ चंडी देवी कथा महातम                                                                 माँ भगवती के प्रंचड स्वरुप को चंडी कहा जाता है| प्राचीन ग्रन्थ पुराणों के अनुसार एक समय शुम्भ और निशुम्भ ने देवताओं से विभिन्न प्रकार के वरदान मांग कर धरती के सभी राजाओं को युद्ध में पराजित कर दिया अत्यंत शक्तिशाली होने से इनका मनोबल इतना उग्र हो गया की इन्होने देवलोक में आक्रमण कर देवताओ को भी पराजित कर दिया तथा स्वर्ग के राजा इंद्र को स्वर्गलोक से निकाल दिया| सभी देवताओं ने त्रिदेवो से सहायता मांगीं तो पता चला की शुम्भ और निशुम्भ का वध कोई भी पुरुष नही कर सकता इन दोनों का वध मात्र नारी ही कर सकती है तो देवताओं ने जाकर महामायी जगदम्बा से प्रार्थना की| माता ने देवताओ की करुण पुकार को सुनते हुए उन्हें शुम्भ निशुम्भ के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने का आशीष दिया|     माँ ने एक धरती पर एक स्थान पर अपना निवास बनाया और मानवों की सेवा करने लगी| माँ के स्वरुप से अनभिज्ञ दैत्य अनुचरो ने माँ के अद्भुत स्वरुप के शुम्भ निशुम्भ को कहा तो दैत्य

माँ मनसा देवी मंदिर हरिद्धार

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हरिद्धार में स्थित माँ मनसा देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, माँ मनसा को नागो की देवी के रूप में जाना जाता है| पुराणों के अनुसार माँ मनसा देवी को देव आदि देव महादेव के मानस पुत्री बताया गया है, मस्तक से उत्पन्न होने के कारन इन्हें मनसा कहा जाता है| वासुकी नाग द्धारा महादेव से बहन की मांग करने के कारण माता मनसा का जन्म हुआ| वासुकी नाग मनसा के तेज को सहन ना कर सकें तो उन्होंने मनसा माता का पालन करने हेतु तपस्वी हलाहल को पाताल लोक से बुलाया माता मनसा का पालन और रक्षा करते हुए तपस्वी हलाहल ने अपने प्राणों का त्याग कर दिया| कुछ पुरातन ग्रंथो में माता मनसा की उत्त्पति को महर्षि कश्यप के मस्तक से भी बताया जाता है| माता मनसा को  प्राचीन यूनान में भी एक पूजनीय देवी  माना जाता था|       माता मनसा का नाग कन्या तथा पाताल कन्या होने के कारण इनका पूजन प्रारम्भिक काल में दत्यों तथा वनवासियों तक ही सिमित था लेकिन धीरे धीरे माँ मनसा की महिमा से हिन्दुओं के सभी वर्ण परिचित होते गए और माँ मनसा की पूजा भव्य मंदिरों में परम्परागत ब्राहमणों द्धारा की जाने लगी|  बंगाल में शैव माँ मनसा को विष की देवी मानते ह