ज्ञान और विज्ञान
ज्ञान और विज्ञान दोनों अपने अपने तरीके से मानव के मष्तिष्क को अपने कंट्रोल में करना चाहते है। विज्ञान के पास यंत्र है। इन यंत्रो से विज्ञान ने मानव को बहुत से कामो के लिए मशीनों पर निर्भर कर दिया है। तो कई ऐसे काम भी है जिनको मानव कर सकता है लेकिन मशीनों के द्वारा आसानी से उन कामो के हो जाने वाले विकल्प की तरफ उसका ध्यान पहले जाता है और वो उन मशीनों पर आवश्यकता से अधिक निर्भर होता चला जा रहा है। यह निर्भरता मानव को पंगुता की तरफ धकेल रही है। कुछ मशीने इस तरह की भी है जो मानव को उसके व्यवहार से हटा कर उसको मशीनों की तरह बना रही है। इसके उदहारण हमको अपने जीवन में मिल जायेंगे। मशीन या यंत्र मानव के काम को कम करने के लिए बने थे लेकिन मानव के द्वारा उनका आवश्यकता से अधिक प्रयोग मानवीय आदत को बदल रहा है। आज हम 100 मीटर चलने ,दो चार जोड़ी कपडे धोने ,खाने के मसाले कूटने जैसी प्रारंभिक आदतो को भी भूल चुके है। इन सामान्य से दिखने वाले कामो के लिए हम तुरंत ही यंत्रो का सहारा लेते है। जबकि यह वो सरल से काम है जिसको हम कभी भी कर सकते है। अगर हम इनको शारीरिक व्यायम की तरह ही ले लें तो भी हम इसको