प्रकृति की गोद में बसा अद्धभुत धनोल्टी

मंसूरी के निकट ही प्राकृतिक वातावरण के अद्धितीय मनोहारी स्थानों में से एक धनोल्टी पर्यटकों के ह्रदय में अपना स्थान बनता जा रहा है| तुलना करने वाले इसे सौ वर्ष पुरानी मंसूरी कैसी रही होगी कहते हुए इसकी तुलना मंसूरी से करते है|



सेब तथा आलू के बगान के लिए प्रसिद्ध यह स्थान देवदार के बड़े वृक्षों से झांकते हिमालय के दर्शन करता है| अप्रेल से जून के महीने में यहाँ का वातावरण मंसूरी से अधिक ठंडा रहता है वर्षाकाल में वर्षा तथा बदलो के के पहाड़ो में होने के कारण यहाँ का वातावरण एक दैवीय लोक की अनुकृति स लगता है तो शरदकाल में यहाँ मंसूरी से अधिक वर्ष पड़ती है जो अधिक मानवीय गतिवधि ना होने के कारन लम्बे समय तक रहती है|



धनोल्टी से पांच किमी के दुरी पर सिद्धपीठ माँ सुरकंठा का मंदिर है कद्दुखाल से यहाँ माँ के दरवार तक जाने के लिए 3 किमी पैदल मार्ग वा कठिन चडाई करनी होती है| समुन्द्रतल से 3.034 मीटर ऊँचे पहाड़ पर माँ का यह पवित्र धाम है जहाँ से हिमालय की विशाल श्रंखला दिखाती है|



धनोल्टी समुन्द्रतल से 2,500 मीटर की उचाई में स्थित है| सबसे निकट का हवाईअड्डा 83 किमी की दुरी में जोलीग्रांट देहरादून में है तथा रेलमार्ग लगभग 80 किमी की दुरी में देहरादून है रेलवे स्टेशन के बाहर से ही बस तथा टेक्सी यहाँ तक मिल जाती है टेक्सी के रेट पहले से तय कर लें| दिल्ली से वाया कर्नल हाईवे से होते हुए भी आप अपने वहान से पहुच सकते है|

धनोल्टी पहुचने के लिए आप पवित्र नगरी ऋषिकेश से भी आ सकते है ऋषिकेश के 10 किमी दूर जौलीग्रांट हवाई अड्डा है तथा ऋषिकेश रेल और सडक मार्ग से भी जुड़ा है लेकिन यहाँ रेलवे की सुविधा कम है|



ऋषिकेश से धनोल्टी की दुरी लगभग 90 किमी की है जोकि पूर्ण रूप से पहाड़ी मार्ग है सड़के बढ़िया है कुछ स्थानों को छोड़कर| मार्ग में सिद्धपीठ कुंजापुरी है| गढ़वाल के राजा के महल नरेन्द्र नगर में है जो मार्ग में ही पड़ता है इसके एक भाग में राजपरिवार रहता है जबकि एक हिस्से को अब होटल व्यसाय में परिवर्तित किया गया है जोकि आनंदा रिसोट के नाम से है|

धनोल्टी में ठहरने के लिए उत्तराखंड पर्यटन के होटल सहित कुछ अन्य होटल भी है| धनोल्टी में वन विभाग द्धारा संरक्षित इको पार्क देखने के लिए बढ़िया विकल्प है|

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