उत्तरखंड एक परिचय

                स्कन्द पुराण में हिमालय को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है:-
                     खण्डाः पञ्च हिमालयस्य कथिताः नैपालकूमाँचंलौ।
                     केदारोऽथ जालन्धरोऽथ रूचिर काश्मीर संज्ञोऽन्तिमः॥



उत्तर भारत की सोम्य पहाड़ियों में बसा उत्तराखंड प्रदेश अपनी विशाल प्रकृति सुंदरता के कारण विश्वभर के पर्यटको का धयान अपनी और खिचता है । तो हिन्दू आस्था के रूप में यह प्रदेश देवभूमि कहा जाता है । जहाँ कई पौराणिक मंदिर है । पवित्र गंगा और यमुना का जन्मस्थान होने के कारण यह प्रदेश धार्मिक दृष्ठि से अति महत्वपूर्ण हो जाता है ।

सामरिक दृष्टि से उत्तराखंड की सीमा तिब्बत (चीन ) और नेपाल से मिलती है ।
भारत सरकार के नवरत्न औद्योगिक इकाई में से ONGC और BHEL यह कार्यरत है ।

                                                     उत्तराखंड = उत्तर + अखंड

        उत्तर भारत को धर्मिक रूप से एक सूत्र में बंधने के कारण ही संभवत इसका नाम उत्तराखंड पडा होगा । हिन्दू वेद और पुराणों में भी उत्तराखंड नाम लिया गया है । इस स्थान को देव साधना व तपस्या बड़ा ही पवित्र बना गया है । यहां कई तपोवन है जहाँ आदिकाल से अब तक कई तपस्वी तप करने आते है । कई तपस्वी तो कई वर्षो से यहाँ तप कर रहें है वो अपने स्थान से कभी बाहर नही गए ।


उत्तरप्रदेश में आई सरकारो ने कभी इस पहाड़ी क्षेत्र को अपने विकास के एजेंडे में लिखा ही नही और ना ही यहां की भौगोलिक स्थिति के अनुरूप कोई व्यवस्था बनायीं ।

प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के लिए दंड क्षेत्र punishment zone  के नाम में यह पूरा भूभाग एक डर का वातावरण रहा जिससे अधिकारियो की नजर में यह मात्र एक दुष्कर स्थान बना रहा ।

प्राकृतिक आपदाओ में सरकार द्वारा लिया जाने वाला उदासीन व्यव्हार यहां के निवासियो को खलने लगा और मांग उठी उत्तराखंड नाम से एक नए राज्य की ।


राज्य प्राप्ति संघर्ष के लिए अथक प्रायस किये कई कई बलिदान हुए l जिनमे सबसे चर्चिर मंसूरी और रामपुर तिराहा कांड था जिसने पुरे पहाड़ में दुःख और उत्साह की लहर का संचार किया l और इन सब बलिदान से सन 2000 के नवंबर महीने की 9 दिनक को भारत के 27 राज्य के रूप में उत्तराखंड राज्य बना l


राज्य बनने के बाद ही राज्य के दो मैदानी जिलो में राज्य में सामिल होने के विरोध में स्वर उठाने लगे ।

हरिद्वार बचाओ आंदोलन को समाजवादी पार्टी के नेता अमरीश कुमार और भारतीय किसान यूनियन टकेत ने आंदोलन खड़ा किया ।तो ऊधम सिंह नगर रुद्रपुर में इसकी अगवाई अकाल दल ने की ।

कई महीनो चले इस आंदोलन ने प्रदेशवासियो को पहाड़ी और मैदानी के रूप में बाटने की भूमिका और मानसिकता का जन्म भी दिया ।

विकास की दौड़ में इन दोनों जिलो को सबसे अधिक लाभ हुआ । रुद्रपुर को को जहाँ ऑटोमैटिक और फार्मा हब के रूप में डवलप किया गया तो हरिद्वार में कई मिली जुली कम्पनियो ने अपनी निर्माण इकाई लगायी इसको केमिकल हब भी कहा जाता है ।

यूकेडी जिसको राजनीती लाभ मिलना चाहिए था उसमे अंतर्कलह के कारण जनता के बीच में कोई स्थान नही मिल पाया । राज्य में यूकेडी की स्थिति लगतार बिगड़ती जा रही है । बीजेपी कोंग्रेस जहाँ सत्ता के केंद्र बने हुए है तो बसपा के बाद अब आम आदमी पार्टी के प्रति बढ़ती लोकप्रियता ने यूकेडी के प्रति प्रदेश की जनता को शून्य कर दिया है ।इसके पीछे यूकेडी की अंतर्कलह के साथ साथ केंद्रीय के लगतार असफल होना भी प्रमुख वजह है ।

राजनीती द्वारा राज्य के साथ छल कोई नई बात नही थी । राज्य गठन हुआ पर इसका नाम उत्तरांचल रख दिया गया जो जनभावनाओं का अनादर करना ही था । एक बार फिर राज्य के नागरिको ने आंदोलन का रुख किया और जनवरी 2000 को राज्य को उसका पौराणिक शास्त्र सहमत वा बलिदानियों का नाम मिला l

उत्तराखंड राज्य एक मिशाल है अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक तरीके से लड़ने की  l
भारतीय सेना में गढ़वाल रजिमेंट और कुमाऊ रजिमेंट के नाम पर जाने किनते ही किस्से है और भारत तथा ब्रिटिश काल में जीते गए कई मैडल है l लेकिन इस बहादुर कौन ने कभी राज्य प्राप्ति के लिये राष्ट्र के विरुद्ध कोई सशस्त्र युद्ध नही किया l जेसा की राष्ट्र के कई प्रदेशो में हुआ या हो रहा है l


                                                        उत्तराखंड के सभी बलिदानियों को नमन 

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